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लेखनी प्रतियोगिता -27-Dec-2022

                        🌄🌄🌄सुबह की किरण🌄🌄🌄

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आनंद अपने जीवन में संघर्ष कर रहा था। विभिन्न विभिन्न एग्जाम की तैयारी कर रहा था। अपनी मेहनत और योग्यता के समकक्ष प्रतिफल की इच्छा रखता था। आज 5:00 बजे उठकर 6:00 बजे की बस पकड़ कर उसे अजमेर से सीकर जाना था। सारे सामान व्यवस्थित जमा कर रवाना हुआ तो देखा कि घड़ी में 6 बजने में 5 मिनट कम रह गए है। कहीं बस ना छूट जाए इसलिए गाड़ी को तेज गति से बढ़ा दी। गाड़ी वाले को फोन भी कर दिया था भैया मैं 5 मिनट लेट हो जाऊंगा तो गाड़ी को रोक लीजिएगा प्लीज। उसने कहा नहीं हम तो 6:00 बजे रवाना हो जाएंगे। आनंद ने अपनी कार  की स्पीड और बढ़ा ली और 6:02 पर वहां पहुंच गया। चलती हुई गाड़ी को आखिरकार उसने पकड़ ही लिया। उसने जिंदगी में संघर्ष करना जो सीखा था। 

अपनी परीक्षा और इंटरव्यू देकर वहां से जयपुर के लिए अगले दिन प्रस्थान कर गया, वहां भी उसे नई कंपनी का इंटरव्यू जो देना था। दिनभर व्यस्थता के बाद शाम को तुरंत टेंपो पकड़ा और फ्लेट कि राह ली, जाने कि जल्दी थी, क्योंकि उसकि कक्षा का 500/ 600 बच्चे जो बेसब्री से इंतजार कर रहें थे। आनंद जितना  सुग्राह्य कोई सवाल नहीं समझता था। तभी तो उसकी कक्षा कि उपस्थिति 100 परसेंट रहती थी। टेंपो में भीड़ होने पर ड्राईवर ने उससे लेकर सूटकेस को ऊपर रख दिया। वह जल्दी पहुंचने कि उधेडबुन में था। अचानक ड्राईवर ने उसे उतरने का संकेत किया। वह तुरंत उतर कर कुछ कदम ही चला कि याद आया कि उसका सूटकेस तो टेंपो में ऊपर ही रह गया। उसने देखा कि ऑटो उसकी आंखों से ओझल हो चुका था।

उसने पापा को फोन किया कि मेरा सूटकेस ऑटो में रह गया, फ्लैट कि चाबियां भी उसी में रह गईं थीं। उसे दूसरा ऑटो लेकर पीछा करने कि सलाह दी। किंतु उस सुनसान रूट पर साधन मिलना मुश्किल था। उसे क्लॉस लेने कि जल्दी भी थी। उसने कर्म क्षेत्र को प्राथमिकता दी और कक्षा लेने लगा। उसकी मम्मी ने पड़ोसी को मदद हेतु आग्रह किया। वह भी हेल्पलेस थी, बिना ऑटो नंबर और बिना मोबाईल नम्बर ट्रेस करना मुश्किल था। आशा कि कोई किरण नजर नहीं आ रही थी। पापा और मम्मी ने सारे प्रयास किये, परिचितो को फोन कर सभी असफल प्रयास कर लिए। एक पड़ोस की आंटी ज्योति ने उसकी मम्मी को सलाह दी कि आप अपनी साड़ी में गांठ बांध ले। आशा कि कोई किरण नजर नहीं आती दिख उसे भी आजमाने कि सोचा, उसमे बुराई तो कुछ भी नहीं है। ज्योति ने एक अन्य ऑटो वाले का नम्बर दिया जो ऊधर ही रहता था। उसने कुछ क्लू मांगा था। किंतु ज्यादा जानकारी देने में सफल नहीं हुए। ऑटो कहाँ से चला ओर कहाँ तक का था ही बता पाए। सभी आशा धूमिल हो चुकी थी। आशा कि कोई किरण नहीं दिख रही थी। सभी थक हार कार बोझिल मन से सो गए । 

अगले दिन उठने पर  पुनः प्रयास में लग गए। शायद कोई क्लू मिल जाए। आनंद कि पत्नी भी सारे प्रयास करती रही। फ्लैट के चौकीदार को कहा कोई टेंपो वाला सूटकेस देने आए तो प्लीज मुझे इन्फॉर्म कर देना। चूंकि उसने इंपोर्टेंट डॉक्यूमेंट्स जो थे। दिनभर सारे प्रयास करते रहें। आज शाम कि चाय भी नहीं भा रही थी, अनमने भाव से पी।

अचानक उस ऑटो वाले का एक कॉल आया। साहब जी एक टेंपो वाले का पता लगा है उसके पास एक सूटकेस किसी की रह गई है । वह दो सो फुटा पर अभी है। मैं कहीं और जगह हूं  वहां जाने में असमर्थ हूं। अगर आप किसी को भेज सकते हैं तो पहचान कर ले कि वह आपका ही सूटकेस है क्या?  आनंद की क्लास थी उसका जाना संभव नहीं था। अचानक आशा की जो सुबह सी किरण जागी उसको बेजाया नहीं करना चाह रहे थे। मन आशंका से भरा लेकिन प्रफुल्लित लग रहा था।  हो न हो वह सूटकेस हमारा ही होगा। अचानक आनंद की पत्नी को ध्यान आया कि उसके एक रिश्तेदार वहां रह रहे हैं। उसने तुरंत उनको फोन कर वहां जाकर सूटकेस की पहचान करने का आग्रह किया। वह रिश्तेदार 15 मिनट में वहां पहुंच गए। लेकिन वह टेंपो वाला वहां नहीं था। पुनः हताशा का माहौल बन गया।
संपर्क करने पर उसने कहा कि मैं 1 घंटे बाद वहां मिल सकता हूं। रिश्तेदार अपने घर लौटने  कि सोच रहे थे । आनंद की मां ने हिम्मत नहीं हारी और पुनः ऑटो वाले को जल्दी पहुंचने की रिक्वेस्ट की। टेंपो वाला सज्जन पुरुष था बेचारा 20 मिनट में वहां पहुंच गया। सूटकेस को देख कर वीडियो कॉल पर चेक कर अपना ही होने का प्रमाण देकर उससे प्राप्त किया। उसे देख कर सबका मन प्रफुल्लित हो गया और एक 'सुबह की किरण' सा मन में प्रकाश पुंज फैल गया। टेंपो वाले को उचित इनाम देकर विदा किया।

शायद यह मेहनत की कमाई का ही परिणाम था कि इतने बड़े शहर में सूटकेस का 24 घंटे में पुनः मिलना एक आश्चर्य ही था। शायद ज्योति मैडम का साड़ी के पल्लू पर गांठ बांधने का टोटका भी काम आया। आखिरकार मेहनत 'विजय' हुई और प्रेरणा भी दे गई कि कभी-कभी टोटके भी काम आ जाते हैं। मेहनत करने वालों को ईश्वर भी 'सुबह की किरण' जैसा प्रकाश दिखाता है

✍️ विजय पोखरना "यस"
अजमेर 

(लेखक के पुत्र के साथ कल घटी सत्य घटना नाम बदल दिया हैं)

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12 Comments

Gunjan Kamal

03-Jan-2023 12:23 PM

लाजवाब प्रस्तुति 👌

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Varsha_Upadhyay

30-Dec-2022 05:23 PM

बेहतरीन

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